औरत, आदमी और छत , भाग 33
भाग,33
रीति ने पढ़ाई के साथ कोचिंग भी शुरू कर दी थी,कृष्णा आंटी लगभग देहली ही रहती थी पर स्कूल वालों से भी इतने अच्छे संबंध थे उनके कि उन्होंने कमरा नहीं खाली करवाया था। रीति ने हास्टल छोड़ कर कमरा ले लिया था,क्योंकि नानी का उसके बिना दिल ही नहीं लगता था।नानी का जब मन करता यहाँ आती थी,स्कूल वाले भी बीच बीच में बुला लेते थे उनको।
डिकीं भी बहुत मेहनत कर रही थी। दीदी से दोनो बच्चे रात को पढ़ाई के दिशानिर्देश लेते रहते थे।
आज सुबह सुबह भाभी का फोन आया था।मीनू तेरा भाई नहीं रहा।
वीरेंद्र गाँव गया था।मिन्नी माँ से इजाजत लेकर बस में ही चली गई थी। भाई की बेटी बीएड करके एक प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर रही थी।भतीजा आर्मी में चला गया था। घर के हालात काफी सुधर ग ए थे।
मिन्नी ने नोटिस किया कि अंतिम संस्कार की सभी विधियों में एक औपचारिकता ही थी।जो भाभीजी और बच्चे निभा रहे थे।मिन्नी भुक्तभोगी थी, समझ सकती थी शराबी की औलाद होने का दर्द। भाभी ने एक औरत को बुलवा कर तमाम घर धुलवा दिया था।हालांकि भैया की मौत तो नशा मुक्ति केन्द्र मे ही हुई थी। पर मिन्नी देख रही थी भाभी थोड़ी थोड़ी देर में नहा रही थी।
भाभीजी इस मौसम में यूं नहाओगे तो बीमार पड़ जाओगे।
पता नहीं क्यों मिन्नी मुझे लग र हा है कि बार बार नहाने से न मुझे तेरे भाई के अहसासों और संबधों से छुटकारा मिल जायेगा। मैं मुक्त हो जाऊँगी।
भाभी, मिन्नी की रूलाई फूट ग ई थी।
भाभी भी शायद अभी ही रोई थी।एक बर्बाद दास्ताँ का अंत जो हो गया था सकून के आंसू थे ये।
बुआ आज मत जाओ प्लीज।
भतीजी और भतीजे के विनम्र आग्रह को ठुकरा नहीं पाई थी वो।माँ को फोन कर दिया था, रूक गई थी वहीं। शाम के वक्त तक दीदी भी आ गई थी। भाभी को खाना खिला कर अपनी नींद की गोली में से आधी गोली दे दी थी।
भतीजी ने अलग आकर बहुत बातें की थी।अपने कैरियर के बारे में। शादी के बारे में।
मिन्नी सिर्फ इतना ही कह पाई थी, बिट्टो पहला लक्ष्य सरकारी नौकरी होना चाहिए, शादी तो कभी भी कर सकती हो।पहले लक्ष्य से चूकना ,जिदंगी मे पिछड़ना होगा।
सही कहा बुआ।आपका ये गुरूमंत्र अवशय याद रखूंगी। बुआ कुछ रिश्ते जीवन में कैसे होते हैं न जिनके होने न होने का कोई फर्क ही नहीं होता।जैसे दादू का रिश्ता आपके लिए,पापा का रिश्ता हमारे लिए।
हाँ बिट्टो ये पहले जन्म के कुछ रिश्ते हमसे बदला लेने के लिए इस जन्म में बनते हैं।हो सकता है पिछले जन्म में.हमने भी इन लोगों का बहुत दिल दुखाया हो।
बुआ प्लीज़।
हाँ बिट्टो मैं तो यही सोच कर खुद को समझा लेती हूँ।
तभी बड़ी दीदी आई थी।मीनू बच्चे ठीक हैं तीनों।
जी दीदी।
बड़ी क्या कर रही है?
वो देहली युनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रही है।
छोटे दोनों अभी नोंवी कक्षा में हैं।
छुट्टियों में तो घर आती होगी?
बिना छुटियों के भी आ जाती है दीदी, बच्चों का आपस मे मिले बिना दिल नहीं लगता। शनिवार को लगभग आ ही जाती है,रीति।
अच्छी बात है।शायद दीदी को ये अच्छा नहीं लगा था।
ठीक है तेरे बच्चे तो पढ़ जायेंगे, तूं भी तो पढ़ी लिखी है।
देखते हैं दीदी?
तभी भतीजा उपर आया था। उसने बुआ से इस रस्म को जल्दी निपटाने के बारे में पूछा था।
बड़ी दीदी ने कहा था, वहीं हरिद्वार में ही तेरहंवी कर देना। यहाँ पडिंत को खाना खिला देगें और हवन करवा देंगे।
तूं रूकेगी न मीनू?
नहीं दीदी कल सुबह निकल जाऊँगी। माँ की तबियत और फिर बच्चे, और वीरेंद्र के काम का शैडयूल ऐसा रहता है कि उन्हें पता ही नहीं होता और किसी चीज के बारे में। उनका खाना पीना भी बना कर भेजना पड़ता है।
पर तेरे पास तो नौकरानी है ना?
दीदी उस से भी काम करवाना पड़ता है। फिर आप जो खाना खुद बना सकते हैं वो नौकर नहीं बनायेगा, वो सिर्फ आपकी मदद कर सकता है।
बुआ आपका फोन बज रहा है।
मिन्नी नीचे चली जाती है।
कहाँ है?
मैं इधर भाभीजी के यहाँ आई थी, भाई नहीं रहे।
फोन नहीं कर सकती थी?
किया हुआ है दो बार ,शायद कुछ व्यस्तता ज्यादा होगी आपको।
डुगू को साथ ले जाती?
उसके टेस्ट चल रहें हैं।
यूं क्यों नहीं कहती कि अकेले ही जाना चाहती थी।
तो ये भी कोई गुनाह नहीं है।
मै लेने आ रहा हूँ।
पर मैं अभी वापिस नहीं आ रही, शायद कल भी न आऊँ।तो आप अपना समय न खराब करें।मै जैसे गई थी, वैसे ही आ जाऊँगी।
तुम्हें पता है न यहाँ तुम्हारे पीछे सब कितना डिस्टर्ब हो जाता है।
मै भी एक दिन के लिए आई हूँ।
गुस्सा है मिन्नी किसी बात का?
मेरे ख्याल से आप आराम करें, थके होगें।
कहकर मिन्नी ने फोन काट दिया था।
तभी डिंकी का फोन आया था। मंमी कल आ जाना, मिसिंग यू ए लाट।
आ जाऊँगी बेटा , और फिर घर पर सब हैं। दादी भी है,भाई भी है।,पापा भी है।
पापा आये ही नहीं है। दादी खुद आपको बहुत मिस कर रही है।
अच्छा कल जल्दी निकलूं गी बेटा।
वो उपर ही जा रही थी कि फोन फिर बजा था, रीति थी,
मंमी आय एम सारी, आपके भाई यानि मामा जी नहीं रहे।
अभी डुगू ने बताया कि मंमी घर पर नहीं है और
वो सब बड़ा अजी़ब फील कर रहें है।
ठीक है रीति तुम अपना ख्याल रखो। मैं बात करती हूँ।
कमाई करने वाली माँ हो बच्चे तो पूछेंगे ही।
सोच है अपनी अपनी दीदी।
बात कमाने की नहीं होती बड़ी बुआ, बात जुड़ाव की होती है। मीनू बुआ की तो सास ही उदास हो जाती हैं उनके बिना।
अरे छोड़ो बिट्टो सबके अपने अपने अहसास है।
कालोनी का माहौल ही बदल गया था । पापा के समय तो गली महल्ले की औरतें सभी आई थी। अब तो दूर से ही हाथ जोड़ कर औपचारिकता निभा लेते हैं। रात यूं ही विचारों और बातों में बीत गई थी। सुबह जल्दी उठने वाली मिन्नी आज सुबह सात बजे उठी थी। उठते ही चलने की तैयारी पकड़ ली थी। भाभी ने कहा था, आती रहना मीनू, अच्छा लगेगा। भतीजी और भतीजे ने भी इसरार किया था। दीदी को मिल कर वो बस अड्डे की तरफ चल पड़ी थी।बहुत कुछ दर्द का हिस्सा जो पीछे छुट गया था ,जाने अन्जाने पता नहीं क्यों मुड़ कर साथ चिपकने की कोशिश करता है। आज पहली बार ऐसा हुआ था ,मिन्नी ने नींद की आधी गोली बस में ही खा ली थी।लिम्का की बोतल के साथ। शायद जो पीछे छुटा हुआ साथ आ रहा था,उस से निज़ात पाने का तरीका यही था। पर गलत था।
तो क्या करे सिर टकराये दीवारों से।
नींद की गोली के कारण आँखे मिचती सी जा रही थी। तभी मोबाइल बजा था। वीरेंद्र थे।
घर किस टाईम आना है तूनें।
आप कौनसा घर पर हैं।
तेरे बिना घर पर क्या है?
पहुंच जाँऊगी मैं दस बजे तक।
मेरे को फोन कर देना मैं ले लूंगा बस अड्डे से।
मिन्नी ने फोन काट दिया था। और सीट के स्टैंड पर सिर टिका कर सो गई थी। फोन भी साईलेंट पर कर दिया था ।पोने दस बजे आँख खुली थी ।बच्चों की दो दो मिस काल थी।वीरेंद्र की दस मिसकाल थी। रीति का मेसेज था।
लग रहा है आप नींद की आधी गोली खाकर बस की सीट पर सिर टिका कर सोई हैं मंमी, कल कुछ डिस्टर्ब ही इतना हो गई होगी कि आप को ये बढि़या समाधान लगा होगा। पर ये गलत है मंमी। डिंकी डुगु को मैंने कह दिया है कि मंमी सिरदर्द की दवा खाकर सो ग ई है बस में।वो परेशान थे। अपना ध्यान रखना।
ओफ्फ ,तभी एक झटके से बस रूक गई थी, मिन्नी ने अपना बैग संभाल लिया था। वो धीरे धीरे नीचे उतरने लगी थी। बस से उतर कर उसका मन किया क्यों न इस चाय की छोटी सी दुकान पर बैठ कर चाय पी जाये। आज क ई सालों बाद अपने मन की करने का मन हुआ था,ये भूलकर कि लोग क्या कहेंगे। बहुत दिनों बाद दुपट्टे को स्कार्फ की तरह़ सिर पर लपेट कर चाय की दुकान पर बैठ ग ई थी।
एक कड़क वाली चाय दीजिएगा।और एक बोतल पानी भी।
चाय और पानी से ये दोस्ती बहुत पुरानी थी उसकी। चाय पीकर बस स्टैंड के बुक स्टाल पर कुछ टटोलती रही थी वो। फिर एक मैगजीन खरीदी और आटो पकड़ लिया था।पता नहीं क्यों आज आटो में बैठकर कामकाजी महिृला आवास जाने का मन हुआ था। हल्की सी मुस्कान चेहरे पर आई और चली गई। आटो में बैठे बैठे ही नीरजा को फोन मिलाया।पर उसने उठाया ही नहीं, कन्नु को मिलाया तो उसका पहुंच से बाहर था।फोन काटा ही था कि वीरेंद्र की घंटी थी।
हैलो बोलते ही उसकी गुस्से से भरी आवाज सुनाई दी थी।
है कहाँ तू?और फोन क्यों नहीं उठा रही?
चार मिनट में घर पहुंच जाऊँगी, आटो में.हूँ।
अजीब सी बड़बडाहट के साथ फोन काट दिया था वीरेंद्र ने।
भाई नहीं रहे,होते तो भी क्या फर्क पड़ रहा था साल में दस महीने तो नशा मुक्ति में रखवाते थे बच्चे। कुछ लोग पता नहीं क्यों आते हैं इस दुनियां में।.विचारों में.डूबती उतरती घर पहुंच गई थी।सवा ग्यारह हो ग ए थे।
माँ नमस्ते।
मिन्नी कहीं जाना हो तो मुझे साथ लेकर जाया कर बेटी, चाहे अलग से गाड़ी ले ले, मैं दिलवा देती हूँ।
क्या हुआ माँ?
मेरा मन नहीं लगता तेरे बिना।
दीदी, किसी ने भी खाना नहीं खाया है।
माँ मैं कहाँ जाती हूँ, ये तो मज़बूरी थी जो निकलना पड़ा।
खाने में क्या बनाया है कमला?
कोई तैयार ही नहीं खाने को।
माँ दवाई आपकी?
अब तूं आ गई है न अब ले लूंगी।
ओह मेरी माँ दवाई तो जरूरी है।
कमला प्याज छील कर फटाफट काटो बारीक बारीक।मैं नहा कर आती हूँ।
तभी गाड़ी रूकी थी।मिन्नी वापिस पैर रसोई में चली गई थी।
उसने वीरेंद्र के लिए चाय बनाई थीऔर दो गिलास पानी ट्रे में रख कर ले आई थी।
वीरेंद्र माँ के पास ही बैठे थे। मिन्नी ने माँ को दो बिस्किट और दवाई दी थी।और नहाने चली गई थी।
बच्चे टयुशंस पर ग ए थे। स्कूल बंद था आज।
मिन्नी ने पनीर बना दिया था।साथ में लहसुन लालमिर्च की चटनी,और खीरे का रायता।मिस्सी रोटी तो सुबह बनती ही थी।
वीरेंद्र को नहाने के कपड़े देकर माँ के लिए रोटी बना रहीथी।उसने माँ को भावनात्मक रूप से इतना कमजोर नहीं देखा था। उसने कमला से पूछा, बच्चों ने कोई शैतानी तो नहीं की न,माँ इतनी उदास क्यों हो गई?
दीदी सारे ही उदास थे।बच्चों ने तो सुबह दूध भी नहीं पिया।
उफ्फ़।
माँ को खाना खिला ही रही थी कि वीरेन भी बाहर आ गया।
खाना लगा दूं?
ले आ।
साईकिल की आवाज़ ने डिकीं और डुगू के आने की सूचना दे दी थी।
मंमी
मिन्नी ने बाहर आकर दोनों को गले लगा लिया था।
हमें छोड़ कर कहीं नहीं जाओगी आप।
कहीं नहीं जाऊँगी बेटा, मैं कहाँ जाती हूँ, ये तो मज़बूरी थी।
चलो हाथ धो लो खाना लगाती हूँ।
कमला को रोटी सेकने को बोल मिन्नी ने तीनों बाप बेटी का खाना लगा दिया था। वीरेंद्र चुप थे खाना खाते वक्त।बच्चे दादी के साथ बाते भी कर रहे थे।
वीरू तूं कल कहाँ था? गाँव में?
नहीं माँ एक दोस्त के फार्म पर था।
कम से कम रात को घर ही आ जाता, मिन्नी नहीं थी, मैं और बच्चे, हमारा मन ही नहीं लगा।
सारी माँ।
मंमी अब आप अपने लिए भी एक गाड़ी ले लो। दादी भी कह रही थी,कि दूसरी गाड़ी होती तो सारे चले जाते,और रात को घर आ जाते।और पापा आपने तो मंमी का फोन भी नहीं उठाया, आप ने ये भी नहीं सोचा कि कोई एमरजेंसी भी हो सकती है।
वो साईलेंट पर चला गया होगा डिंकी, फिर मैने तेरी मंमी को फोन किया भी था।
ऐ छोड़ डिकीं अपनी दूसरी गाड़ी ले लो। डुगू तूं मोबाइल पे देख कर मेरे को बता दे,कौनसी गाड़ी लेनी है।
दादी मेरी पंसद की गाड़ी लेंगे।
ऐ दोनों की पंसद की लेंगे।
मिन्नी तूं भी रोटी खा ले बेटी अब मैं थोड़ी दे र टहल कर सो लेती हूँ।
जी माँ।चलो डिकीं डुगू थोड़ा आराम करो।तुम लोग भी फिर पढ़ाई करना।
कमला ने मिन्नी की रोटी बना कर रसोई समेट दी थी।
मिन्नी माँ के पास ही खाना खा रही थी।
तेरे भतीजे भतीजी भी तो शादी लायक हो ग ए हैं न मिन्नी.
जी माँ, भतीजे को तो सरकारी नौकरी मिल ग ई है,पर अभी भतीजी को नहीं मिली।उसको मिलते ही भाभी कर देगीं उसकी शादी।
चलो ठीक हो जायेगा, भाई ने आपणी ज़़िदगी तबाह करन में कोई कसर नहीं छोड़ी। बच्चे समझदार निकलगे,बहुत अच्छी बात है।
जी माँ,ये तो है।
जा बेटी आराम कर ले थोड़ी देर।
मैं ठीक हूँ माँ।
अरे अब तूं आ गई, मेरे घर की रौनक आ गई।अब मैं भी थोड़ा सोऊँगी। तूं भी आराम कर।
जी माँ।
मिन्नी रूम में गई तो साथ ही वीरेंद्र आ ग ए था।
गाड़ी लेनी है तो मेरे को बोल जो कहेगी वही ला दूंगा एजेंसी से।
मतलब?
भ ई माँ को बोला है तुमनें गाड़ी के लिए, मेरे को बोल मैं,
वीरेन आप शायद इतने सालों बाद भी मुझे पहचाने नहीं, मुझे तमन्ना किसी चीज की होती ही नहीं, जरूरत भी वही पालती हूँ, जिसे मेरी जेब पूरी कर सके। और मैं.क्यों कहूंगी माँ को गाड़ी के लिए।मुझे जाना ही कहाँ है गाड़ी मे।
आपके पास इतने सालों से गाड़ी है मुझे चलाना भी आता है ,पर मैंने तो कभी एक मिनिट के लिए भी आपसे गाड़ी नहीं माँगी।तो आप सोच भी कैसे सकते हैं कि?
अरे तो मैने यही तो कहा है कि ले ले तूं गाड़ी।
मंमी मंमी
क्या है डुगू ?
देखो मंमी ये गाड़ी कैसी है?
नहीं मंमी इसका शेप अच्छा नहीं हे।
शट अप यू बोथ, ये क्या गाड़ी गाड़ी लगा रखी है? मैंने बोला तुम लोगों को गाड़ी के लिए, जरा जरा सी बात पर बेज़्ज़ती करवा देते हो।
पर मंमी दादी ने कहा था, हम तो तभी ढूंढ रहे थे।
मैने तो नहीं कहा ना?
जी नहीं मंमी।
देन टेल दिस थिंग टू युअर डैड आलसो।
मिन्नी बाहर चली ग ई थी।
पापा क्या हुआ, गाड़ी के बारे में तो दादी ने बोला था,पर हुआ क्या है?
कुछ नहीं तेरी माँ को हर बात पर ओवररियेक्ट करने की आदत है डिंकी।
ऐसा कुछ नहीं है पापा, मंमी को तो इ स बारे में कुछ पता ही नहीं था। चल डुगू खाम्खां बात बढ़ गई भाई।
मिन्नी ने कपड़ें धुलने डाल दिए थे। और वहीं खड़ी थी, उसे जब भी गुस्सा आता था , वो कोई न कोई काम करने लग जाती थी।
आई एम सारी मंमी,
कोई बात नहीं डुगू, पर तुम लोग हर बात को इतना सीरियसली मत लिया करो,कि अभी ऐजेंसी पहुंचना है। कुछ बातें सिर्फ सुनने में अच्छी लगती हैं।
मी आलसो सारी माँ
चलो रूम में चलो, वहीं आ रही हूँ, तुम्हारे पास।
मंमी कुछ मीठा खिलाओ न।
अच्छा लाती हूँ।
मिन्नी जानती थी दोनों बच्चों को मीठा बहुत पंसद है।
वो सामने के वीटा बूथ से पिन्नी का पेकिट ला कर देती है दोनों को।दोनों उसके साथ थोड़ी मस्ती करते है फिर पढ़ने लग जाते हैं।मिन्नी वहीं बिछे फोल्डिंग पर सो जाती है।
आधा घंटा ही हुआ था उसे सोये हुए। वीरेंद्र का फोन आता है डुगू के पास, मंमी कहाँ है तेरी?
हमारे रूम म़े सो रही हैं।
उनको बोल ,पापा ने नींबू पानी मंगवाया हे।
मैं या डिंकी बना दें पापा।
पढ़ लो तुम, मंमी बना देगी , उसे ही बोल .दे।
मंमी मंमी, पापा नींबू पानी माँगरहे हैं,कहते हैं मंमी को बोल वही बनायेगी।
मिन्नी तुरंत उठ कर नींबू पानी बनाती हैऔर अंदर ले जाती है।
लीजिए।
कहा थी?
बच्चों के पास थी सो ग ई थी वहीं पर।
आजकल नींद बहुत आती है मैडम, बस में भी सो जाती है।
कोई काम हो तो बता दें।
मेरे पास बैठ जाओ।
आज जाना नहीं है आपको।।
नहीं।
बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं , मैं उनके पास हूँ।
अरे तो हम क्या बात भी नहीं कर सकते? मैं क्ह क्या रहा हूँ तुम्हें जो इतनी अलर्ट हो रखी हो।
मुझ से बात करेंगे आप ?कोई काम नहीं बचा है।कपड़े सभी प्रेस हैं, धुले हैं, खाना आप खा चुके हैं।नीबूं पानी आपके सामने है।और किसी बात का कोई टापिक हमारे बीच होता ही नहीं।
मिन्नी क्यों तूनें अपनी ज़़िदगी आज़ाब बना रखी है।
मेरे कर्मो के फल है, भूगतने तो हैं ही।
क्यों कुछ नहीं बोलती तुम मुझसे?
आपको समय ही कहा होता है साहब मेरे जैसे व्यक्तियों की बकवास के लिए। ठीक है काफी ज़िंदगी बीत गई है बची हुई भी निकल जायेगी।
तभी वीरेंद्र के फोन की घंटी बजी थीऔर मिन्नी बाहर आ ग ई थी।
वक्त भाग रहा था,पर सकून नहीं था, हर पल की बेचैनी, कभी तो यूं दिल करता कि तमाम इबारतों को मिटा कर ज़िंदगी को अपने तरीके से लिखूं,पर ये क्या संभव हो पाया है,किसी के लिए भी। भतीजे ने शादी कर ली थी,अपनी पंसद की लड़की से कोर्ट मेर्रिज। भाभी ने फोन कर के बताया था। बड़ी दीदी को बहुत बुरा लगा है।
मिन्नी ने मुबारकबाद के साथ ग्यारह सौ रूपये मनीआर्डर करवा दिए थे।भाभी ने बहुत कहा था एक बार आने को।
समय मिलते ही आऊँगी कहकर टाल ग ई थी उदास आँखों वाली लड़की। भतीजी बात करती रहती थी। सब समाचार मिलते रहते थे। रीति ग्रेजुएशन फाइनल कर चुकी थी मास्टर्स में दाखिला ले लिया था। डिंकी डुगू भी ग्रेजुएशन के पहले साल में आ ग ए थे,देहली यूनिवर्सिटी में ही। तीनों बच्चे को एक फ्लैट ही ले दिया था।कृष्णा आन्टी उन के पास ही रह रही थी। माँ भी चली जाती थी कभी कभी। बच्चों के जाने के बाद मिन्नी और भी उदास हो गई थी।पर बच्चों के भविष्य के साथ वो कोई समझौता नहीं कर सकती थी। क ई बार मन करता था नौकरी छोड़ दूं और बच्चों के पास दिल्ली ही रहूं, फिर भविष्य से डरती थी,कल को बुढ़ापे मे क्या करूंगी, किस के आगे हाथ फैलाऊँगी।।अभी तो हाथ पैर चल रहे हैं तो काम कर रही हूँ, कल का क्या पता?
ननद की बड़ी बेटी इंजीनियर हो गई थी।चार साल से जाब भी कर रही थी।उसकी शादी तय हो ग ई थी। दीदी का फोन आया था कि शादी में भात निमत्रण की रस्म के लिए वो गाँव आना चाहती हैं,गाँव ग ए भी काफी अरसा हो गया था।
माँ ने मिन्नी को कहा था, कल गाँव चलेंगे और तैयारियां शुरू करवा देते हैं। मिन्नी अपनी सहेली की गाड़ी ले आई थी,दोनों सुबह सुबह ही निकल पड़ी थी।वीरेंद्र रात से घर नहीं आया था, फोन भी बंद था।
मिन्नी ने गाड़ी रोकी तो घर खुला था, माँ सामने चाची के घर की तरफ मुड़ ग ई थी।मिन्नी अंदर गई तो पता नहीं क्यों उसके कदम अपने बैडरूम की तरफ जाती सीढियों की और बढ़ ग ए थे। तभी वीरेंद्र कमरे से बाहर निकला था बदहवास सा।
तुम यहाँ क्या कर रही हो।
क्यों घर है मेरा, क्या मैं यहाँ नहीं आ सकती।
मैंने ऐसे तो नहीं बोला, चल नीचे चलते हैं।
नहीं मैं तो कुछ देर य हीं रहूँगी,आप जायें नीचे।
मिन्नी कमरे की तरफ मुड़ी तो वीरेंद्र ने झटके से हाथ खीच लिया था उसका, मैने बोला न नहीं जाना उधर दोस्त हैं मेरे उधर।
तो आप अपने दोस्तों को नीचे ले जायें , मुझे तो ऊपर ही रहना है।
तभी अंदर से किसी की खुमारी में डूबी आवाज़ आई थी,
कौन है वीरू?
मिन्नी ने आगे बढ़ कर दरवाजा खींच दिया था,,अर्द्ध नग्न अवस्था में एक महिला उसके बैड पर लेटी थी।
हो गई तसल्ली अब नीचे जा फटाफट।
तभी माँ की आवाज़ आई थी, मिन्नी उपर है क्या?
हाँ माँ ।
और माँ सीढियां चढने लगी थी।
माँ उपर ही पहुंच गई थी।
वीरू और मिन्नी दरवाजे के पास खड़े थेऔर वो औरत अभी भी पंलग पर बैठी थी।
माँ भी उस नज़ारे को देखकर नीचे जमीन पर बैठ ग ई थी। वो औरत फटाफट कपड़े पहन कर खड़ी हो ग ई थी उसनें वीरू की तरफ देखा और नीचे उतर गई थी।
माँ जमीन पर ही बैठी थी मिन्नी नीचे जाने लगी तो माँ ने कहा था,अकेली कहाँ भाग रही है,मुझ बूढ़ी का कौन है सिवाय तेरे।आँखों में आँसू भरे मिन्नी माँ को नीचे ले आई थी।
माँ , वीरेन्द्र भागता सा नीचे आया था।
माँ वो ऐसा कुछ नहीं था माँ, इस का दिमाग खराब है।
एक थप्पड़ वीरू के गाल पर पड़ा था मरगी तेरी माँ,आज के बाद।
तभी वीरू ने आगे बढ़ कर हवेली का मुख्य दरवाजा ही बंद कर दिया था।
कोई क हीं नहीं जायेगा माँ ,मार ले और मार ले पर जा मत कहीं भी।
तेरे को शर्म नहीं आई, जवान बेटी का बाप है तूं,इतनी सुंदर बीवी है तेरी। तेरी माँ होने से तो मैं बेऔलाद ही अच्छी थी।कोई जगह तो छोड़ देता।
तभी माँ का फोन बजा था।
दादी डिकीं बोल रही हूँ, नमस्ते।
मंमी पापा कहाँ है,फोन क्यों नहीं उठा रहे। आज तो संडे है।
वो तेरी मंमी नहा रही है।
इतनी देर से?
अब मुझे क्या पता छोरी?
अच्छा दादी मंमी को ये खुशखबरी बता देना, रीति दीदी का हरियाणा सिविल सर्विसेज का टेस्ट बहुत अच्छे नम्बरों से क्लीयर हो गया है।
हिंदी में बता छोरी?
दादी रीति दीदी हरियाणा सरकार में अफ़सर बन ग ई।
छोरी है कहां, मेरी बात करा।
वो और डुगू सैंटर ग ए है आते.ही बात कराती हूँ।
बहुत बढि़या छोरी।
मिन्नी चारपाई के एक कोने को पकड़ कर खड़ी थी चेतनाशून्य सी।
मिन्नी तेरी रीति अफ़सर बन ग ई बेटी।
मिन्नी ने जैसे कुछ सुना ही नहीं था।वो जमीन पर धड़ाम गिरी थी।।
वीरेंद्र उसकी तरफ भागा था। पानी लेकर माँ को दिया था ,फटाफट कपड़े पहने थे ,दरवाजा खोलकर गाड़ी निकाल रहा था कि शिवजीत आ गया था।माँ की चिल्लाहट सुनकर।
क्या हुआ वीरू?
भाई ,मिन्नी ?
मैं डाक्टर कै लेकर आता हूँ।
शिवजीत डाक्टर को लेकर आया था।
बी पी बहुत ही कम है सरपंच साहब, मैने इन्जेकशन दे दिया है,आप इन्हें कुछ मीठा पिला दें। जल्द होश आ जायेगा।
डाक्टर इतने बहू ने होश नहीं आता इतने आप यहीं रहो,माँ के हाथ जुड़ ग ए थे।
माता जी मैं यहीं हूँ, आप परेशान न हो।इन्हें अभी होश आ जायेगा।
शिवजीत की पत्नी और बेटी भी आ ग ए थे।
जा बेटी तेरी चाची के लिए तेज मीठे का नींबू पानी बना कर ले आ।
अभी लाई पापा।
माँ रो रही थी।शिवजीत ने बाहर से कहा था, चाची बहू को थोड़ी दिक्कत हुई है ठीक हो जायेगी, इसमें रोने की क्या बात है। चलो आप इधर आ जाओ।
नींबू पानी चम्मच से पिलाया था शिवजीत की पत्नी ने मिन्नी को।
वीरेंद्र बहुत परेशान स्थिति में खड़ा था शिवजीत के पास।
तभी माँ के फोन की घंटी बजी थी।माँ ने फोन शिवजीत की लड़की के हाथ वीरू को भेज दिया था।
डिंकी का फोन था, पापा मंमी कहाँ है, इतनी बड़ी बात बताई और उनका फोन भी नहीं आया। वेयर इज शी?
डिंकी मुझे नहीं पता तूने किसे क्या बताया?
रीति दीदी का हरियाणा सिविल ससर्विसेज में पाँचवी रेंक आयी है, दादी से अभी आधा घंटे पहले ही बात हुई थी।वो बोली अभी मंमी से बात कराती हूँ, वो नहा रही है।
डिंकी उसका बी पी लो हो कर चक्कर आ गया था, अभी थोड़ी देर में बात कराता हूँ। रीति और डुगू कहाँ है।
वो दीदी को सेन्टर में बुलाया तो डुगू भी साथ गया है, आने वाले होंगे।
पापा मेरी मंमी???? डिंकी रो रही थी।
अभी ठीक हो जायेगी बेटा, मैं काल करवाता हूँ।
मैं आ रही हूँ अभी।
नहीं डिकीं इससे सब परेशान होंगे वहाँ, मैं तेरी मंमी को ही ले आऊँगा ठीक होते ही।
तूं परेशान मत हो बेटी। उसने फोन काट दिया था।
वीरू बहू को तूने तो कुछ नहीं कहा, ठीक ठाक गाड़ी चलाकर लाई है, मैंने खुद देखा है।
मैंने क्या कहना था भाई? अभी तो आई ही थी।
मिन्नी मिन्नी ठीक है न बेटी तूं।
डाक्टर ने दोबारा बीपीचैक किया था। आप इन्हे कुछ खिला पिला दें और ये दवा खिलादें।
जा देख शायद होश आ गया है बहूको।
वीरू डरता सा अंदर आया था।
सरपंच साहब ध्यान रखें मैडम का शायद ये अपने खाने को लेकर लापरवाह हैं।
जी मैं देखता हूँ, थैंक्स डाक्टर साहब।
वीरेंद्र ने डाक्टर को पैसे दे दिए थे, शिवजीत उन्हें छोडने चला गया था।
मिन्नी को बहुत कमजोरी और खाली खाली महसूस हो रहा था। उसे सब याद आ गया था।
शिवजीत की बेटी और पत्नी खाने के लिए कुछ लेने चले ग ए थे।
माँ मैं जारही हूँ, मेरा पर्स कहाँ है, गाड़ी की चाबी है उसमें।
हालत देखी है अपनी , लेटी रह आराम से।
मेरी हालत का मुझसे ज्यादा पता और किसे हो सकता है, आप को तो कदापि नहीं। उसने उठने की कोशिश की थी,पर उठ ही नहीं पाई।
मिन्नी आराम कर ले बेटी, शाम को शिवजीत छोड़ आयेगा अपने को।
मुझे यहाँ एक सैकिंड भी नहीं रहना माँ।
पागल हो गई है क्या,आराम क र ले,फिर चलते हैं।
आप कहाँ चलते हैं,आप तो यहाँ रंग रेलियां मनाओ।
मिन्नी , देख तेरी रीति अफसर बनगी सरकारी, तूं डिंकी से बात कर ,उसका क ई बार फोन आ चुका है।
माँ उसे पर्स देती है , डिंकी की क ई काल थी, रीति का मैसेज था। मंमी एक सीढ़ी मिल ग ई है,पर मंकाम अभी दूर है, दुआ कीजिएगा।
डिकीं डिकीं, क्या हुआ?
मंमी दीदी का पाँचवा रेंक है। पर आप को क्या हुआ है।
कुछ नहीं हुआ, अभी ठीक हूँ।
सच बताओ मंमी?
तुम्हें लगता है कि मैं झूठ बोल रही हूँ' बेटा।
सारी मंमी पर आप मुझे बहुत ज्यादा परेशान लग रही हैं।पापा से तो कोई बात नहीं हुई हे मंमी?
बात और तुम्हारे पापा से उन से बात करने के लिए मुझे तो अपॉइंटमेंट लेनी होगी बेटा और अपॉइंटमेंटकी लाईन भी लम्बी है।
वीरेंद्र ने फोन छीन लिया थाऔर काट दिया था।
पागल हो गई है क्या?
अभी तो सयानी हुई हूँ, वीरू सरपंच,अभी तक तो पागल थी मैं।
माँ बाहर चली गई थी परेशान सी।
बोल न वीरू बोलता क्यों नहीं, किस तरहं की औरत पंसद है तुझे? मुझ में क्या कमी है, शायद मैं उन औरतों जैसी नहीं हूँ न,जो तुझे पंसद आती हैं।पर अंतर तो बता दे। मिन्नी बदहवासी में बोल रही थी।
मिन्नी चुप हो जा प्लीज़।
डिंकी का फोन फिर आ जाता है,वीरेंद्र खुद रिसीव करता है।
बेटा डिकीं पापा बोल रहा हूँ, मंमी नाराज है मुझ से। मैं दो दिन से गाँव में था,इन.को गुस्सा आ रखा है, तबियत भी ठीक नहीं है।ये थोड़ा ठीक हो जायेगी तो मैं देहली ही आ जाता हूँ, तुम तीनों को ले आऊँगा।
ठीक है पापा, पर मंमी का ध्यान रखें।
मिन्नी बात सुन।
नहीं वीरू अब सिर्फ़ मैं बोलूँगी और तुम सुनोगे, मुझे तो तुमनें कभी सुना ही नहीं, क्योंकि मैंने तो खामोशी ओढ़ ली थी,एक छत को बचाने के लिए, पर नहीं वीरेंद्र डियर अब मैने वो चदर उतार फैंकी है।
क्या कहती है तुम को तुम्हारी चहेतियां, "वीरू" हाँ तो वीरू डालिंग करो न प्यार मुझे ,बाहों मे भरो न मुझे, मुझे तो तुम डाँट ही मारते हो, बेज़्ज़ती ही करते हो मेरी तो। मुझे मेरी कमी तो बताओ।ये जो औरत आज रात तुम्हारे बैडरूम में थी, ये तो कहीं से भी सुंदर नहीं थी, मुझे तो लगता है शायद इसने काफी दिनों से नहाया भी न हो। यही पंसद है तुम्हारी?
वेरी पुअर टेस्ट डिअर।
.अच्छा छोड़ो , आओ न बाहों में भरो मुझे प्लीज़ मुझे भी एक बार ऐसे ही प्यार करो न जैसे इन दो टके की औरतों से करते हो।
मिन्नी प्लीज़ आय लव यू ए लाट, गलती हो जाती है मुझ से।
वो गलती मेरे साथ भी करो न मुझे प्यार करो न।
वीरेंद्र बहुत ही हतप्रभ वाली स्थिति में था, उसने बाहों मे लेकर जैसे ही मिन्नी का माथा चूमा, मिन्नी एकदमपीछे हट गई ,नहीं सरपंच ये तो बिल्कुल बेजान बाहें हैं।और तुमने मेरा माथा चूमा ,ओफ्फ उन्हीं होठों से तुमनें उस औरत को चूमा होगा, छि मुझे गंदा कर दिया तुमने,और ये तुम्हारे अंदर से तो किसी के अहसास की बू आ रही है,ये मुझसे पाप हो गया, वीरेन, मुझे तो वो अहसास चाहिए था जो सिफ मेरा हो। तुम तो किसी और के हो, पता नहीं कितनो के हो।
सामने बाथरूम में जाकर अपने उपर पानी डालना शुरू कर देती है।मैं गंदी हो ग ई हूँ। मुझे साफ होना है। मिन्नी पागल जैसे बोले जा रही थी।
वीरेंद्र अपना माथा पकड़ कर खड़ा है ,तभी बाथरूम में कुछ गिरने की आवाज़ आती है, वो भाग कर अंदर जाता है तो तो मिन्नी बाथरूम में गिरी पड़ी है।
वो उसे उठाकर कर कमरे में लेआता है।। वो डाक्टर को काल करके बताता है कि उसकी बीवी को फिर वही बेहोशी हो ग ई है,आप प्लीज़ जल्द आ जायें।
डाक्टर आ कर मिन्नी की हालत देखता है वो लगभग गीली हो रखी थी।
सरपंच साहब बतायें बात क्या है?
यार मुझ से ही छोटी मोटी बात हो गई है इनकी, अब.नाराजगी थी,बस किसी भी बात को दिल से लगा लेती है।
बीपी तो ठीक है सर उतना कम नहीं है। एक बीमारी है हिस्टीरिया पर वो तो तभी होता है अधिकतर जब इंसान दिमागी रूप से बहुत परेशान हो, ऐसे दोरे अधिकतर तभी होते हैं। मैं इन्हें वो एक टैबलेट दे देता हूँ, पर मेरी दवा से ज्यादा आपका सामीप्य और स्नेह ही इनके लिए कारगर होगा।
आप दवा दे दें डाक्टर, बहुत जिद्दी साथी है मेरी,एक बात को महीनों खीचना और उसी में खोये रहना इन की आदतहै।
लगता है सरपंच साहब, मैडम आज ही नहीं पहले भी परेशान तो रहती हैं।
यार डाक्टर साहब थोड़ी ब हुत ले लेता हूँ ,इनको पंसद नहीं। कहती कुछ हैं नहीं किसी को चुप्पी लगा लेती है। बस यही समस्या है।
ये बहुत गलत है साहब ,इनकी सेहत के लिए खासकर मानसिक सेहत के लिए।आप इन्हें ये गोलियाँ दस दिन लगातार द़े और अपना भी थोड़ा रूटीनबदल कर इन्हें समय दें।
इन्हें कुछ खिला दीजिएगा जरूर।
तभी माँ शिवजीत की पत्नी के साथ खाना लेकर आई तो मिन्नी को उसी हालत में देखकर घबरा ग ई।
फिर बेहोश है गई है क्या मिन्नी?
माँ अभी ठीक हो जायेगी, आप खुद आराम करें। मैंने दवा दे दी है।
वीरू तूं भी नहाले कुछ खाले, बड़ी भाभी ने कहा था।
भूख नहीं है भाभी।
अच्छा नहाले जाकर, दिमाग हल्का हो जायेगा। मैं हूँ मिन्नी के पास।
भाभी इस का ध्यान रखना, अभी बाथरूम में गिर ग ई थी।
वीरेंद्र रूआंसा सा हो उठा था।
तूं चिंता न कर,जा नहाले। चाची आप लेट जाओ।
वीरेंद्र नहा कर निकला था उसने कपड़े बदल लिए थे।
माँ मिन्नी के पास लेटी थी। भाभी वहीं बैठी थी।
तभी डिकीं का फिर फोन बजा था, वीरेंद्र ने उठाया तो वो बोली इस का मतलब मंमी ठीक नहीं है।
वो सो रही है।
पापा हम लोग कल आ रहें हैं स्कूल वालों ने दीदी के लिए आनर इवेंट रखा हे,कल सुबह ही स्कूल की गाड़ी आयेगी लेने। आज भेज रहे थे वो गाड़ी पर आज शाम को डुगू का मैच है। हम मंमी को अपने साथ यहीं ले आयेंगे, यहाँ कर लेंगी वो जाब। आप के पास नहीं छोड़ेंगे अब मंमी को, मैं अभी दीदी से बात करती हूँ।
डिंकी क्या बचपना है ये?
उसकी तबियत ठीक न हीं है , ठीक हो जायेगी, मैने क्या कहा है तेरी मंमी को।
आई अन्डरस्टेनड पापा आपका व्यवहार भी माँ के प्रति सामान्य मियां बीवी जैसा नहीं है।वो रूआंसी सी हो उठी थी और फोन काट दिया था।
वीरेंद्र को समझ नहीं आ रहा था क्या करे, क्या न करे।
तभी उस के फोन पर डाक्टर की घंटी आई थी। सर पंच साहब गर उस गोली से मैडम को नींद आ जाये तो प्लीज जगाना नहीं, नींद भी बढि़या दवा हैं इस समस्या में।
ठीक है साहब शुक्रिया।
वीरेंद्र उस कमरे में आया तो भाभी ने बताया कि उसने मिन्नी को लस्सी पिला दी है मीठी।और पीते ही फिर सो ग ई है।
वीरेंद्र माँ के पैरों की तरफ बैठ जाता है, आज से दारू बंद माँ, माफ कर दे।
माँ हाथ जोड़ कर अपने पैर खीच लेती है।
माँ प्लीज़ मेरी डिंकी भी नाराज़ है मुझसे, फोन काट ग ई, कहती है अपनी मंमी को अपने साथ ले जाँऊगी, और तूं भी बात नहीं कर रही,और ये मैडम ऐसी हालत में पड़ी है।
तभी शिवजीत की लड़की वन्दना ने आकर बताया, दादी वो दोनों मियां बीबी रोटी खाकर आ रहे हैं और सफाई शुरु कर देंगे सारी हवेली की। मैंने उन्हें बोल दिया है कि दादी ने कहा पन्द्रह दिन रोज झाड़ पोंछ और सफाई करनी है।
ठीक है बेटी, बहू जा तूं भी काम देख ले बेटा कोई जरूरत हुई तो मैं घंटी कर दूंगी।
ठीक है चाची।
वीरू रोटी खा ले तूं।
भाभी रखी रहन दो खा लूंगा।
उनके जाने के बाद माँ उठ कर बैठ जाती है। रूपा की छोरी का भात है वो भात न्योतने गाँव आना चाहती थी। इसलिए मैं और मिन्नी गाँव आये थे कि साफ सफाई करवा देंगे, यहाँ तेरे कारनामे देख लिए।
रूपा की बेटी की शादी के बाद मैं तो वहीं रहूँगी, जहाँ मिन्नी रहेगी। तेरे बाऊजी की पेन्शन आ रही है, मिन्नी भी कमाती है। रीति नौकरी लग ग ई। डिकीं डुगू भीअपने पैर खड़े हो जायेंगे। तूं अपनी जमीन से अपना हिस्सा ले और ऐंश कर।
गाँव वाला घर रख ले तूं।
क्या बात कर रही हो माँ? इतना गुस्सा कि बटवारा तक कर के रख दिया। मुझे कुछ नहीं चाहिए माँ सब आपका है। बस माफ कर दो माँ प्लीज़।
मैं क्या माफ करूंगी तुझे इस फूल सी बच्ची की जिदंगी खराब कर के रख दी तूनें, सारी उम्र इसने तेरे घर को सहेजने सवाँरने में लगा दी और बदले में तूनें इसे हर कदम पर धोखा दिया।
तभी माँ के फोन की घंटी बजी थी, दादी नमस्ते, रीति बोल रही हूँ। मंमी कैसी है अब।
ठीक है बेटी, अभी सोई है, उठते ही बात करा दूंगी। मेरी रीति तो अब बड़ी अफ़सर बन गई।
आप के लिए मैं वही रीति हूँ दादी।
हाँ बेटी मेरे लिए तो तूं रीति ही है। डिंकी कहाँ है।
उसका सुबह टेस्ट है दादी अभी पढ़ रही है, डुग्गु मैच के लिए चला गया। नानी लेटी हुई है। मंमी से बात कराना जब भी उठे। कल हम सारे आपके पास आयेंगे।
ठीक है बेटी।
सफाई वालों ने आकर हवेली की सफाई शुरू कर दी थी। माँ भी उनके साथ ही थी। वीरू मिन्नी के पास बैठा सिगरेट फूंक रहा था।पता ही नहीं चला बैठे बैठे कब वहीं सो गया वो।
शाम के पाँच बज ग ए थे , माँ दो तीन बार आकर दोनों को देख गई थी। बेहोशी की नींद सोये पड़े थे। मिन्नी ने तो दवा खाई थी,और वीरू की नींद ही ऐसी थी,कभी भी कहीं भी सुला दो।
सफाई लगभग हो चुकी थी। माँ ने कहा था कि सुबह दस बजे तक वो लोग आ जायें। मैं भी पहुंच जाऊँगी।
माँ ने पैसे देकर दूध मंगवाया था पड़ोस से। माँ ने चाय रख कर मिन्नी को जगाया था, उठ जा बेटी, हाथ मुँह धो ले।
मिन्नी थोड़ी देर में उठ कर बाथरूम चली ग ई थी। मिन्नी को कच्चे दूध की तेजपती की चाय बहुत पंसद थी। माँ चाय लेकर आई थी, माँ दोनों को चाय देकर बाहर चली गई थी।
यही गाड़ी ले चलता हूँ, वो.सुबह किसी से मंगवा लूंगा।
मैं ले जाँऊगी इसे आपका जो मन हो करें।
नहीं होगी ड्राइविंग मिन्नी, तबियत ठीक नहीं है तेरी।
कुछ नहीं हुआ मुझे।
चल ठीक हैं तूं चला ले मैं तेरे साथ बैठा रहूंगा।
मुझे किसी बाडीगार्ड की जरुरत नहीं है, जिन्हे हो उनके साथ रहो। मैं जा रही हूँ।
माँ मैं जा रही हूँ, आप मेरे साथ ही चलेंगी या अपने बेटे के साथ ,आयेंगी।
चल बेटी चल, मैं यूं कह रही थी कि तेरी तबियत ठीक नहीं है, शिवजीत का बेटा छोड़ आयेगा अपने को।
मैं ठीक हूँ माँ।
मैं मर जाऊँ जब चली जाना किसी के साथ भी माँ,और तूं सुन गाड़ी में बैठ जा, फालतू दिमाग खराब न कर।हर चीज की अति होती है, बहुत हो गया।
और जो अति आप ने कर रखी है उस का क्या?
कुछ नहीं होगा अब, चल बैठ गाड़ी में।
माँ कितना घर खुला रखना है, कितना. बंद करना है करवा ले और बैठ लो गाड़ी में।
वीरेंद्र ने डिंकीका फोन मिला कर गाड़ी में पकड़ा दिया था मिन्नी को। डिंकी से बात कर ले।
मंमी कैसी हैं आप?
ठीक हूँ डिंकी अभी।
मंमी पापा ने कुछ क हा आपको?
नहीं बेटा, मेरी तबियत ही खराब थी। अब घर जा रही हूँ, गाँव आई हुई थी।
दवाई कहाँ से ली?
यहाँ भी तो तीन चार क्वालीफाईड डाक्टर हैं बेटा।
हम.सब कल आ रहे हैं मंमी स्कूल वालों ने दीदी के लिए आनर इवेंट रखा है।कल डायरेक्टर मैडम गाड़ी भेज देंगी दस.बजे। साढे सात मेरा टेस्ट है। आज डुग्गु का मैच है,वो गया हुआ है।दीदी सो ग ई है, उठेगी तो.बात करवाती हूँ।
ठीक है बेटा तैयारी करो, कल तुमलोगों के लिए कुछ स्पेशल बनाती हूँ।
आप रेस्ट करे मंमी कल की कल देखेंगे।
तभी खिड़की खुली थी और माँ बैठ गई थी।तभी वीरेंद्र ने आकर खिड़की खोल ली थी।
माँ ये क्या दूध लाई हो?
हाँ मिन्नी को कच्चे दूध की चाय बहुत पंसद है ना।
शिवजीत का बेटा वीरू की गाड़ी लेकर चल पड़ा था आगे,वीरेंद्र ने रोहित को फोन किया की घर पहुंचे , किसी के यहाँ गाड़ी पहुचानी है।
कमला को फोन कर दे,आने के लिए।
मिन्नी ने फोन कर दिया था। तभी रीति का फोन आया था,कैसी हो मंमी?
आय एम प्राऊड आफ यू डियर
ये तो एक स्टेप है मंमा मंजिल अभी बहुत दूर है।
सब मिल जायेगा बेटा, अपनी मेहनत पर भरोसा रखो।
कमला सब को खाना खिला कर चली गई थी। मिन्नी माँ के बैड पर ही सो ग ई थी। वीरेंद्र उसकी दवाई समझा कर सोने चला गया था।
दवाई में नींद का असर था। कुछ ही देर में वो फिर सो गई थी।
माँ ने उसके सोने के बाद लाईट बंद कर दी थी।
वीरेंद्र को रह रह कर मिन्नी की दिन वाली बातें याद आ रही थी।काफी प रेशानी में था वो। डिंकी से हुई बात फिर उसका फोन काट देना। डुग्गु तो पहले से ही उससे कम खुलता था वो तो हर बात में मंमा मंमा ही रखता था। सोचते सोचते सो गया था वो।
मिन्नी आज छह बजे उठी थी अपने लिए और माँ के लिए चाय बनाई थी। शरीर टूटा टूटा सा था। नहाकर निकली ही थी कि कमला भी आ ग ई। माँ ने बताया था कि आज फिर गाँव जायेंगी।ताकि सारे इंतजाम करवा सकें।
मिन्नी अंदर आकर लेट ग ई थी। कमला ने खाने के लिए पूछा तो कहा, माँ से पूछकर बना लो,और साहब का टिफिन लगा दो। माँ को नाशता करवा कर दवाई दे दो।
तभी वीरेंद्र उठ कर आया था,चाय नहीं लाई , तबियत ठीक नहीं क्या?
इतनी भी खराब नहीं कि चाय न बना सकूं, फिर सोचा जरूरत होगी तो खुद कह देंगे।
रोज तो तुम्ही चाय लाकर उठाती थी मुझे।
ज़िंदगी में बदलाव होना जरूरी है सरपंच साहब, वरना इंसान ऊब जाता है।
कमला साहब को चाय देदो।
जी दीदी
जूस. बनाना है या लस्सी दीदी।
बता दीजिए इ स को जो भी पीना हो।
जूस बना देना कमला।
वीरेंद्र बाहर आ गया, माँ भी टहल कर आ चुकी थी।
माँ क्या क्या इंतजाम करवाना है उस रस्म की खातिर बता दें आप?
कुछ नहीं करवाना बेटा, परमात्मा ने अभी शरीर से पराधीन नहीं किया है और रूपये पैसे तो तुम्हारे बाऊँजी मरने तक का इंतजाम कर ग ए हैं मेरा। मैं कर लूंगी।
क्या बात कर रही हो माँ? उसकी नराजगी तो समझ सकता हूँ पर आप ये बार बार पैसे पैसे कहाँ से खीच लाती हैंऔर ये रस्म में तो भाईयों का हक होता है।मुझे लगा कि दीदी गाँव में आना चाह रही हैं तो आप लेडीज़ लोगों का कोई विशेष प्रोग्राम होगा। मैं इसलिए चुप रहा। जो भी करना हे बताएं मुझे और तारीख बता दे कब आ रही हैं दीदी
कमला माँ का नाशता ले आती है,.मिन्नी माँ को दवाई देकर तैयार होकर निकलने लगती है।
इतनी जल्दी कहाँ जा रही है, अभी तो काफी टाईम पड़ा है।
जाना है कहीं काम है। और वह चली ग ई थी।
ये पहला मौका था जब मिन्नी वीरेंद्र से पहले घर से निकल ग ई थी।
कहाँ जाऊँ किधर जाऊँ, कृष्णा आंटी भी बच्चों के पास हैं, क्या हो गया ये सब?
कुछ नया नहीं हुआ है मिन्नी अपनी कद्र कर, अपनी ज़िंदगी को प्राथमिकता दे, बहुत जी लिया दूसरों के लिए।वो आटो पकड़ कर स्कूल पहुंच गई थी। कैन्टीन में बैठ कर एक ब्रेड खाया था ढेर सारा बटर लेकर।फिर चाय पीकर स्कूल के पिछले पार्क में टहलने लगी।अतीत वर्तमान और भविष्य के गुणांक का आंकलन करती हुई।
क्रमशः
औरत आदमी और छत
लेखिका, ललिता विम्मी
भिवानी, हरियाणा